अंतरिक्ष युद्धम 4
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आसमान में हल्के बादल छाए हुए थे। हल्की माध्यम ठंडी हवा चल रही थी। आज पीयूष वर्मा को एडवांस स्कैनिंग का कहे हुए 3 दिन हो चुके थे, और आज ही उसकी एडवांस स्कैनिंग थी।
अपने हॉस्पिटल के एक कमरे में बैठे पीयूष वर्मा सभी तैयारियों का जायजा ले रहे थे, राज की एडवांस x-ray स्कैनिंग मैं जो उपकरण काम लिए जाने वाले थे उन्हें अभी कुछ दिन पहले ही यहां लाया गया था। इसलिए किसी भी तरह की स्कैनिंग से पहले पीयूष वर्मा उनका मैन्युअल अच्छे से पढ़ना चाहते थे। उन्होंने अपने नर्सिंग स्टाफ को भी खास हिदायत दी थी कि वह उपकरणों को पहले चेक कर ले, ताकि बाद में किसी तरह की गड़बड़ ना हो। इस तरह की मशीनों को इस्तेमाल करना खतरे से खाली नहीं होता खासकर तब जब आप उसके बारे में जानते ना कोई। हालांकि इसमें इंसान की जान जाने का खतरा नहीं था, क्योंकि यह सिर्फ रेडिएशन छोड़ती थी, लेकिन इस बात की संभावना जरूर थी कि अगर थोड़ी सी गलती होती है तो रेडिएशन की मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है। इससे यह रेडिएशन अभी ना सही लेकिन आने वाले समय में स्कैन होने वाले आदमी को जरूर तंग करेगा।
सभी सुरक्षात्मक पहलुओं पर विचार करने और मैन्युअल पढ़ने के बाद डॉ पीयूष वर्मा खुद उठकर मशीनों को देखने लगे।
कुल मिलाकर यहां तीन मशीनें थी जिसके इस्तेमाल से राज की एक्स-रे स्कैनिंग होने वाली थी।
पहली मशीन IR (INFRARED) स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर शरीर के आंतरिक अंगों का मेप बनाएगी। फिर दूसरी मशीन एक्स-रे को शरीर पर डालकर हड्डियों के ढांचे के अंदर घुसने का प्रयास करेगी। एक बार हड्डियों के ढांचे की स्कैनिंग करने के बाद उसे भी बॉडी के मैप के अंदर कंसीडर कर लिया जाएगा। दोनों मशीनों के बाद तीसरी मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा, यह तीसरी मशीन अल्फा पार्टिकल की बमबारी बॉडी पर करेगी, अल्फा पार्टिकल वाली बेब एटॉमिक रेजं तक अपना इफेक्ट डालती है। इससे हड्डियों के ढांचे को भी भेद कर उसके अंदर की चीजें सामने लाई जा सकती है। इसीलिए इसे एडवांस स्कैनिंग का नाम दिया गया है।
अल्फा पार्टिकल की बमबारी ही यहां ऐसा रेडिएशन था जो इंसानी शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है। अगर इसका इस्तेमाल अधिक कर लिया जाए तो इंसान के अंदर के काफी पोषक तत्वों के नष्ट होने की संभावना भी थी, डॉक्टर पीयूष वर्मा को इन्हीं पार्टिकल वाली स्थिति का खास ध्यान रखना था। वह जितना हो सके इन पार्टिकल का उतना ही कम इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे। प्रत्येक मशीन में पावर कंट्रोल करने के लिए इनपुट और आउटपुट सिंगनल थे। एक वोल्ट मीटर के जरिए मशीनों की पावर घटाई जा बढ़ाई जा सकती थी। मशीनों की स्कैनिंग से जो भी रिजल्ट प्राप्त होंगे वह कंप्यूटर पर दिख जाएंगे। भविष्य में इन्हें दोबारा काम लेने के लिए इन्हें प्रिंट भी किया जा सकता है। आपातकालीन स्थिति अर्थात अगर भूल वंश मशीनों की पावर नियंत्रण सीमा से बाहर हो जाती है तो उससे निपटने के लिए मशीनों में तत्काल पावर ऑफ का भी ऑप्शन था। इस बटन को इस्तेमाल करते ही सभी मशीनें उसी समय बंद हो जाएगी।
दो से तीन बार तैयारियों का जायजा लेने के बाद अब डॉक्टर पीयूष वर्मा को राज का इंतजार था। इसके बाद उनकी मशीनें काम करने के लिए तैयार थी।
राज को आने में ज्यादा देरी नहीं लगी, वह आते ही पीयूष वर्मा से बोला “सॉरी सर, आज ट्रैफिक ज्यादा था तो इसलिए आने में देरी हो गई,”
पीयूष वर्मा ने मुस्कुराकर जवाब दिया “कोई बात नहीं होता है हैं। हम लोग पूरी तैयारियां कर चुके हैं। तुम अपने कपड़े बदल लो फिर आगे का काम शुरू करते हैं,”
पीयूष वर्मा ने अपने स्टाफ को ऑर्डर दिए कि वह राज के कपड़े बदल दे। इन मशीनों में एक्स-रे के लिए राज को अलग कपड़े इसलिए पहनाए गए थे ताकि उसके शरीर पर होने वाला रेडिशन का प्रभाव थोड़ा सा कम हो। जल्द ही राज के कपड़ों को अस्पताल के सफेद कपड़ो से बदल दिया गया और फिर उसे मशीन में लिटा कर उसकी स्कैनिंग की तैयारी शुरू की गई।
"आप पक्का शयोर है ना, इन मशीनों से अच्छे परिणाम ही निकल कर आएंगे" राज ने जाते वक्त डॉक्टर पीयूष वर्मा से पूछा। वो इन मशीनों को देखकर थोड़ा सा घबरा रहा था
डाक्टर ने उसकी पीठ थपथपाते हुए उसे कहा "तुम्हें टेंशन नहीं लेनी चाहिए। निश्चिंत रहो—परिणाम अच्छे ही आएंगे"
उन्होंने अपनी घड़ी की तरफ देखा। तकरीबन 2 से 3 मिनट के बाद उसकी एक्स रे स्कैनिंग शुरू होने वाली थी।
डॉक्टर और उनके साथ की पूरी टीम मशीनों के आगे आकर ठहर गई। स्टाफ के कुछ मेंबरों को कंप्यूटर पर नजर रखने के लिए कह दिया गया। रेलिंग पर खिसकती पट्टी पर राज अंदर की खिसकने लगा, वो अपनी आंखें बंद कर चुका था। अंदर की तेज लाइट वैसे भी उसकी आंखें खुलने नहीं दे रही थी।
डॉ पीयूष वर्मा उंगलियों पर गिनती गिनने लगे, 10...9...8 और इसी तरह एक तरह 3...2..1 तक पहुंचे। गिनती खत्म होते ही उन्होंने मशीन के एक लाल बटन को गोल घुमाकर पावर इनपुट के बटन को दो पर सेट कर दिया। इस तरह के कुल 10 तक के नंबर बटन पर अंकित थे जहां तक पावर को बढ़ा सकते हो। इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर पर नजर रखी। राज की IR स्कैनिंग शुरू हो गई थी। कंप्यूटर पर जो डाटा आ रहा था उसने उसके बॉडी की एक ब्लैक एंड वाइट स्कार्पियो टाइप इमेज उभर कर आ रही थी। उसके शरीर का टेंपरेचर और दूसरी चीजों की जानकारी भी स्कैनिंग में मिल रही थी। धीरे-धीरे पावर को और बढ़ाया गया और डॉक्टर पीयूष वर्मा ने इसे पूरे 4 तक पहुंचा दिया। अब एक्स-रे स्कैनिंग की शुरुआत हो गई थी। राज के शरीर के अंदर का हड्डियों का ढांचा मशीन पर दिखाई देने लगा । डॉक्टर पीयूष वर्मा स्क्रीन की तरफ झुक कर इस डेटा का विश्लेषण करने लगे। जैसा कि तयं था पिछली रिपोर्टों की तरह परिणाम साफ दिखा रहे थे राज के शरीर में किसी भी तरह के चोट के निशान नहीं थे। उसके सभी बोनस और हड्डियां सुरक्षित थी। उन्होंने एक्स-रे किरणों की क्षमता थोड़ी सी और बढ़ाई और उसे 5 पर कर दिया। अब हड्डियों का एक और सही और स्पष्ट विश्लेषण उनके सामने था। डॉ पीयूष वर्मा ने फिर से निगाहें कंप्यूटर के डेस्कटॉप पर केंद्रित कर दी। अब वह अगले कदम के लिए तैयार थे, यहां तक के विश्लेषण में उन्हें कुछ भी ऐसा नहीं मिला जो संदेहास्पद हो और लगे कि राज के पीठ दर्द का कारण यही है। उन्होंने इनपुट पावर बढाई और उसे 6 पर कर दिया। फिर थोड़ा सा और बढ़ाते हुए उसे 7 पर और 8 पर किया। मशीनों ने अपना काम करना शुरू कर दिया था। अल्फा पार्टिकल की बमबारी राज के शरीर पर होने लगी थी। उसका टेंपरेचर सामान्य से थोड़ा बढ़ गया जो अमूमन अल्फा पार्टिकल के ज्यादा ऊर्जा से भरे होने के कारण होता है।
स्टाफ के एक मेंबर ने डॉक्टर पीयूष वर्मा को इस चीज की जानकारी दी "सर तापमान में वृद्धि हो रही है, और अब तक यह दो के अंतराल में बढ़ चुका है।" दो के अंतराल से मतलब जितना तापमान उसका पहले था अब उसने 2 डिग्री और तापमान की वृद्धि हो गई है।
डॉक्टर पीयूष वर्मा ने अपना हाथ ऊपर कर उसे चुप रहने का संकेत दिया"कोई बात नहीं, राज पांच तक के अंतराल को सहन कर सकता हैं, उसके बाद मशीन की कार्यप्रणाली को रोक देंगे" उन्होंने इनपुट पावर बढ़ाकर उसे 9 पर कर दिया।
अब डेस्कटॉप पर जो भी तस्वीरें उभर कर आ रही थी वह पहले से 10 गुना ज्यादा अच्छी और क्लियर थी। तस्वीरें धीरे-धीरे और स्पष्ट होते हुए हड्डियों के ढांचे को भेदकर उसके अंदर के निर्माण क्षेत्र को दिखाने लगीं। कुछ हड्डियां अंदर से खोखले नाल की तरह होती है यह मशीनें उन्हें ही दिखा रही थी। जैसे-जैसे आगे के दृश्य उभर कर डॉक्टर पीयूष वर्मा की आंखों के सामने आ रहे थे वैसे वैसे उनकी आंखें अचंभे से बड़ी होती जा रही थी।
उन्हें कुछ ऐसा दिख रहा था जिसके देखने की उन्हें बिल्कुल संभावना नहीं थी। अपने माउस पर डबल टाइप कर उन्होंने तस्वीरों को जूम किया, फिर अपने चश्मे को भी थोड़ा सा ठीक किया और अपने पास के स्टाफ मेंबर से बोले "यहां कुछ है, मुझे थोड़ी और अच्छे विचुअल चाहिए, अभी तापमान में कितने अंतराल की वृद्धि हुई है" वह अपनी उंगली लगभग डेक्सटॉप की ओर करके सभी को उस चीज को दिखाने की कोशिश कर रहे थे जो अभी धुंधली उभर कर आई थी।
"सर!! 5 का अंतराल पूरा हो चुका है, अगर हमने तापमान में और वृद्धि की तो शायद राज को थोड़ी तकलीफ हो"
डॉक्टर पीयूष वर्मा ने इतना सुनकर गर्दन हिलाई। वह राज की तरफ देखते हुए जोर से बोले "क्या तुम ठीक हो, अब हो सकता है तुम्हें थोड़ी देर के लिए गर्मी लगे"
"हां" अंदर से राज ने बिना हिचकिचाहट के जवाब दिया। अपनी जगह तो वह सही था, अभी तक मशीनों से जो अल्फा पार्टिकल निकल रहे थे उनकी तीव्रता इतनी अधिक नहीं थी कि वह राज के शरीर को तकलीफ दे। हां, शरीर गर्म जरूर हो रहा था पर इतनी गर्मी सहने योग्य थी।
राज की सहमति मिलते ही डॉक्टर पीयूष वर्मा ने मशीन की तीव्रता बढ़ाकर उसे अंतिम पायदान और आखरी नंबर पर कर दिया। मशीन में एक तेज उजाला हुआ जो अधिक ऊर्जा वाले अल्फा पार्टिकल की तीव्रता को और बढ़ाने लगे। राज ने मशीन के अंदर अपनी मुठिया भींच ली, यह पार्टीकल उसे कुछ गर्म लग रहे थे। डॉक्टर पीयूष वर्मा ने तेजी से डेक्सटॉप पर नजर डाली अब पहले के धुंधले दृश्य साफ और स्पष्ट होने लगे थे।
"ओएमजी" यकायक उनके मुंह से निकला "यह आखिर क्या भला है"
इतना बोल कर वह पूरी तरह डेस्कटॉप में खो गए। उनका ध्यान राज के चिल्लाने के बाद टूटा जब उसने अंदर से कहा "सर अब यह कुछ गर्म लग रही है"
डॉ पीयूष वर्मा ने तुरंत पावर सप्लाई बंद कर दी और मशीनों की कार्यप्रणाली यहीं रोक दी। उन्होंने अपने प्राप्त अंतिम आंकड़े को सेव किया और उसका प्रिंट आउट निकाला
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पीयूष वर्मा अपने ऑफिस में घूमने वाली कुर्सी पर बैठे थे। जल्द ही राज वहां आया और उनकी सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया। "जी डॉक्टर साहब, बताए मुझे क्या रिजल्ट आए??" बिना एक पल रुके राज ने आते ही सवाल किया। उसकी रिजल्ट जानने की दिलचस्पी बढ़ती जा रही थी। डॉक्टर पीयूष वर्मा की आंखें अभी भी अंदर ही अंदर हैरानी से भरी हुई थी, वह बार-बार उन्हें साफ कर रहे थे और रिपोर्ट को देख रहे थे।
"देखो राज, मैंने ऐसा केस पहली बार अपनी जिंदगी में देखा है इसलिए इस पर यकीन नहीं हो रहा। मशीनों ने अच्छे से जांच की है। किसी तरह की गड़बड़ी के बारे में भी नहीं कहा जा सकता। तुम्हारी रिपोर्ट अपने आप में अलग है..." डॉ पीयूष वर्मा रिपोर्ट के डाटा को राज के सामने रखने लगे।
राज ने एक गहरी सांस ली।
"दरअसल तुम्हारी रीड की हड्डी की स्कैनिंग बता रही है कि वहां कोई माइक्रो चिप लगी हुई है। एक ऐसी माइक्रोचिप जो तुम्हारी हड्डी के खाली खोखले हिस्से में लगाई गई है। मुझे नहीं पता यह कैसे पॉसिबल है और तुम्हारे अंदर वह चिप किसने डाली। उस चीज से कुछ समय के अंतराल के बाद रेडिएशन निकलता है जो तुम्हारे पीठ दर्द का कारण है। जब भी वह रेडिशन निकलकर तुम्हारे शरीर के दूसरे हारमोंस और सिस्टम से गुजरता है तो वह एक पेन(दर्द) का सिग्नल तुम्हारे माइंड को भेजते हैं। तुम्हें उसे दर्द का एहसास होता है और इसी वजह से कोई दवाई उस पर असर नहीं कर रही। दवाइयों की जो प्रोसेस होती है वह हड्डियों से बाहर बाहर ही चलती है लेकिन हड्डी के इतने अंदर जाकर कोई भी दवाई काम नहीं करेंगी। सब इसी चीप की वजह से है"
राज का मुंह खुला का खुला था। उसके लिए तो इस बात पर विश्वास करना भी मुश्किल था शरीर के अंदर कोई चीप भी हो सकती है। समझ में नहीं आ रहा था वह कैसी प्रतिक्रिया दें। कुछ देर सोचने के बाद वह सिर्फ इतना ही बोल पाया "एक चीप!! पर यह कैसे हो सकता है? यह सब तो सुनने में भी अटपटा लग रहा है। अगर मैं किसी को बताऊंगा तो कोई यकीन भी नहीं करेगा। यह किस लिए है और इसे कैसे निकाला जाएगा"
" मैं अपने टीम के किसी बड़े डॉक्टर से बात करता हूं जो इस पर अपनी राय रखेंगे। वही तुम्हें बताएंगे यह चिप तुम्हारे शरीर में क्यों है, और इसको कैसे निकाला जाए। शायद तुम्हारी रीड की हड्डी का ऑपरेशन करना पड़ेगा। "
राज अंदर ही अंदर सोचने लगा। अब यह क्या प्रॉब्लम है, पीठ दर्द पहले से ही मेरे लिए मुसीबत बना पड़ा था और अब उसका कारण एक चीप। यह एक अलग मुसीबत बन गई है। इससे भी ज्यादा परेशानी वाली बात यह है कि इस तरह की चिप उसके शरीर में आई कैसे और उसे डाला कैसे। सवाल तो और भी बहुत सारे हैं लेकिन सबसे पहले इनका जवाब जानना आवश्यक था।
"ठीक है डॉक्टर,आप बस जल्दी से जल्दी इसका पता लगाएं"
इतना कहने के बाद राज पियुष वर्मा के ऑफिस से बाहर आ गया। पीयूष वर्मा ने राज के जाने के बाद रिपोर्ट को वापस उठाया और दोबारा उसे देखने लगे। वो बोले "यह चीज किसी तरह के खतरे की आशंका को प्रकट करती है"
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शाम होते होते राज अपनी बालकनी पर खड़ा था। उसके दोनों हाथ रेलिंग पर थे और उसके सामने स्नेहा भी खेल रही थी। लेकिन इन सबके बावजूद उसके चेहरे पर किसी भी तरह के भाव नहीं थी। दिमाग बस एक ही बात को बार बार सोच रहा था, एक चीप!! वह भी उसकी पीठ में रिड की हड्डी के अंदर।
सोच में डूबे राज को यह भी पता नहीं चला कि जिस तरह वह स्नेहा को देख रहा था उसी तरह आज स्नेहा भी उसे देख रही थी। स्नेहा ने हल्की गुलाबी रंग के टॉप के साथ जींस पैंट पहन रखी थी। उसने राज को देखा और उसे हाई-फाई दिया। पता नहीं राज ने उस पर ध्यान दिया या नहीं लेकिन उसने उसके हाई-फाई का जवाब नहीं दिया। स्नेहा को थोड़ा अजीब लगा लेकिन इसके बाद उसने दोबारा कोशिश नहीं की। वह वापिस बच्चों के साथ खेलने लग गई।
Miss Lipsa
30-Aug-2021 08:44 AM
Bohot acha hai...ye part
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GoD AnS
08-May-2021 04:00 PM
👍👍👍
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ANAS•creation
08-May-2021 03:48 PM
👍👍👍
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